देश , देशभक्ति और आज़ादी

मार्च 18, 2023 - 03:33
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देश , देशभक्ति और आज़ादी

छोटे भाई कुलतार के नाम अन्तिम पत्र

सेंट्रल जेल, लाहौर,

3 मार्च, 1931

 अजीज कुलतार,

आज तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर बहुत दुख हुआ। आज तुम्हारी बातों में बहुत दर्द था, तुम्हारे आँसू मुझसे सहन नहीं होते। बरखुर्दार, हिम्मत से शिक्षा प्राप्त करना और सेहत का ख्याल रखना। हौसला रखना और क्या कहूँ! उसे यह फ़िक्र है हरदम नया तर्ज़े-ज़फा क्या है, हमे यह शौक़ है देखें सितम की इन्तहा क्या है। दहर से क्यों खफ़ा रहें, चर्ख़ का क्यों गिला करें, सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहले-महफ़िल, चराग़े-सहर हूँ बुझा चाहता हूँ। हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली, ये मुश्ते-ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे। अच्छा रुख़सत। खुश रहो अहले-वतन; हम तो सफ़र करते हैं।

हिम्मत से रहना।

नमस्ते।

तुम्हारा भाई, भगत सिंह

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