नाइजीरिया की कैद से छूट वतन लौटा मर्चेंट नेवी अफसर, मां की आंखें हुईं 'रोशन'
दुकानदार मनोज अरोड़ा के बेटे मर्चेंट अफसर रोशन अरोड़ा 10 माह बाद नाइजीरिया की कैद से छूटकर घर लौटे। पिता मनोज अरोड़ा बेटे के लौटने की खुशी बयां नहीं कर पा रहे थे।
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गोविंद नगर लेबर कालोनी में शनिवार को उत्सव जैसा माहौल नजर आया। परचून दुकानदार मनोज अरोड़ा के बेटे मर्चेंट अफसर रोशन अरोड़ा 10 माह बाद नाइजीरिया की कैद से छूटकर घर लौट रहे थे। पूरा मोहल्ला पलक-पांवड़े बिछाकर उनके स्वागत की तैयारी में जुटा था। मां सीमा परिवार के साथ चौखट पर बैठीं बेटे के आने की राह ताक रहीं थीं।
रोशन ने कहा कि शुरू में हम सभी बहुत डर गए थे, लेकिन फिर हमारे देश की सरकार ने दखल दिया और अब हम यहां आपके बीच हैं। मोदी हैं तो सब मुमकिन है। गर्व से कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं। अगर आपने कुछ गलत नहीं किया है तो हमारे देश की सरकार कहीं से भी आपको बचाकर ले आएगी।
घड़ी की सुइयां टिक-टिक करती शाम के 6:22 पर आकर टिकीं तो गली में एक कार आकर रुकी। ढोल नगाड़े बजने लगे। काली शर्ट और नीली जींस पहने रोशन कार से बाहर निकले तो लोगों ने कंधे पर उठा लिया। खुशी से मां की आंखें छलछला उठीं और दौड़कर बेटे को गले लगा लिया। रोशन ने पिता के पांव छुए। बहन कोमल भी रोते हुए भाई के गले से लग गई।
बहन कोमल ने बताया कि शनिवार सुबह भाई ने फोन कर बताया कि वह अपने देश की धरती पर आ चुके हैं। दिल्ली एयरपोर्ट से कैब लेकर सीधा घर पहुंचेंगे। ये सुनकर स्वजन की खुशी कई गुना बढ़ चुकी थी। रिश्तेदारों और कालोनी के लोगों ने भी ढोल-नगाड़े और फूल-माला मंगवा लिया। शाम को रोशन घर पहुंचे तो आतिशबाजी के साथ उनका स्वागत किया गया। विधायक महेश त्रिवेदी, सुरेन्द्र मैथानी, पार्षद नवीन पंडित, सुनील नारंग, राहुल बघेल समेत भाजपा कार्यकर्ता भी पहुंचे और परिवार को बधाइयां दीं।
लोगों ने रोशन से जब पूछा कि क्या अब भी मर्चेंट नेवी में नौकरी करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि बचपन से मर्चेंट नेवी में जाने का सपना था। उसे नहीं छोड़ूंगा लेकिन कुछ माह परिवार के साथ रहूंगा। सभी लोग कुछ न कुछ उनसे पूछ रहे थे। इस दौरान रोशन ने कहा कि वह तीन दिन से सो नहीं सके हैं। दिमागी रूप से बहुत थका हुआ हूं लेकिन घर पहुंचते ही एक नई मिली है।
उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई। ‘इक्वेटोरियल गिनी पोर्ट पर जब हमारे जहाज पर मौजूद सभी 26 क्रू सदस्यों को बंधक बनाया तो हम सब घबरा गए। कई दिनों तक हम सभी जहाज में रहे। मैंने घरवालों को कुछ नहीं बताया। मुझे लगा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। कंपनी के अधिकारियों से जानकारी हुई कि इक्वेटोरियल गिनी ने जुर्माना लगाया है, जिसे भर दिया गया। जल्द जहाज छोड़ दिया जाएगा लेकिन तीन माह तक हम सब उसी में बंधक रहे। इसके बाद इक्वेटोरियल गिनी के एक अधिकारी से पता चला कि उन सभी को नाइजीरिया नेवी को सौंपा जाएगा। ये सुनकर हम सभी के होश उड़ गए। क्रू के सभी सदस्य रोने लगे। 15 सदस्यों को नजरबंद कर भूखा-प्यासा रखा गया।'
उन्होंने आगे बताया कि 'जहाज में मैं और 10 सदस्य थे। मुझे गन प्वाइंट पर रखा गया था। मोबाइल पर बात करने पर भी रोक लगा दी गई। उसके अगले दिन सभी के मोबाइल छीन लिए गए। लग रहा था कि अब सब कुछ खत्म होने वाला है। इसके बाद नाइजीरिया नेवी हमें अपने साथ ले गई। 15 दिन में एक बार सभी क्रू सदस्यों की उनके स्वजन से कुछ मिनट ही बात कराई जाती थी। मानसिक स्थिति बहुत बिगड़ चुकी थी। लोग बीमार होने लगे थे। मैं भी बीमार हो गया था। जैसे-तैसे समय बीतता गया। 28 मई को पता चला कि नाइजीरिया की कोर्ट ने हमें क्लीन चिट दे दी है। सभी को रिहा कर दिया गया। सभी को उनके मोबाइल लौटा दिए गए। इसके बाद अपने जहाज से ही हम दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन आ गए। वहां से कंपनी की तरफ से हवाई जहाज से दुबई और फिर दिल्ली और अब अपने घर आ पाया हूं।'
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