जंगल सफारी
टाइगर रिज़र्व में सफ़ारी हरी खुली जिप्सी में होती है! फिर भी कभी हिंसक जानवर का भोजन बनने या उनके आक्रमण का डर क्यों नहीं होता? ख़ासकर जब उन्हीं जगलों से स्थानीय ग्रामीणों के शिकार बनने की खबरें जब तब पढ़ने में आती हों!
राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिए खोलने से पहले उसका अनुकूलन किया जाता है. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के संबंधित, इन जंगलों में जानवरों के व्यवहार को संयत करने, उन्हें अभ्यस्त बनाने, उनके करीब सफ़ारी व्हीकल्स चलाते हैं. जानवरों की शुरुआती आक्रामकता, समय के साथ इन वाहनों, इनकी आवाज़ों आदि की आदी हो जाती है. जंगल के रास्ते, पेड़, हवा, पानी, जानवर या कहिए हर शय के लिए जिप्सी, उसका रंग, उसकी आवाज़, उसमें बैठे लोग, अब जंगल का ही हिस्सा होते हैं. शेर जैसा बलशाली हिंसक जानवर भी अपनी ऊर्जा जिप्सी के शिकार में व्यव करने को आतर्किक मानता है. हां, जंगली भैंस या हाथी को अभी भी इसकी परवाह नहीं करते. इनके आक्रामक होकर भिड़ने के वीडियोज़् आप अक्सर पाएंगे.
एक बात और, शेर या अन्य बड़ी बिल्लियाँ के आक्रामक हो जाने पर भी तो घबराकर वाहन भगाया नहीं जाता क्योंकि इन्हें अपने शिकार का पीछा करना पसंद है और ये काम इन्हें बहुत अच्छे से आता है..
पुनश्च: आप तब तक ही सुरक्षित हैं जब तक जिप्सी में हैं. जानवर वाहन देखते हैं, उसमें बैठे लोगों को नहीं. वाहन से बाहर निकले व्यक्ति के लिए जानवर का व्यवहार बदल जाने की पूरी गारंटी है. सफ़ारी में, शरीर का कोई भी अंग जिप्सी से बाहर न निकालने, जिप्सी में खड़ा न होने की ताकीद की जाती है. क्योंकि जानवर के लिए तब तस्वीर अलग होती है जिसका वो अभयस्त नहीं है...!
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