क्या राहुल ने महाराष्ट्र में MVA के टूटने की लिख दी स्क्रिप्ट?
राहुल गांधी ने करीब 2 साल बाद वीर सावरकर के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधा है, लेकिन सावरकर को माफी वीर बताना उन्हें महाराष्ट्र में भारी पड़ सकता है. पहले से ही शिवसेना (उद्धव) से कांग्रेस की तनातनी चल रही है और उद्धव सावरकर को वीर बताते रहे हैं. ऐसे में राहुल के इस बयान के बाद कहा जा रहा है कि उद्धव की पार्टी कोई बड़ा फैसला ले सकती है.
संसद में संविधान पर बहस के दौरान राहुल गांधी के निशाने पर केंद्र की सरकार के साथ-साथ वीर सावरकर भी रहे. शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के एक सवाल के जवाब में राहुल ने सावरकर को माफी वीर बता दिया. राहुल ने कहा कि मैंने इंदिरा गांधी से एक बार सावरकर को लेकर सवाल पूछा था तो उन्होंने मुझे कहा कि सावरकर अंग्रेजों से मिल गए.
दिल्ली स्थित लोकसभा में दिए गए राहुल के इस बयान का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ सकता है. कहा जा रहा है कि सावरकर को माफी वीर बताने से शिवसेना (उद्धव) के साथ कांग्रेस की तनातनी बढ़ सकती है. दोनों के बीच गठबंधन पहले से ही नाजुक मोड़ पर है.
सावरकर को लेकर क्या बोले राहुल?
राहुल ने कहा कि सावरकर मनुस्मृति को मानते थे तो संविधान के बिल्कुल उलट है. सावरकर को संविधान में भारतीयता भी नहीं दिखा था. इस पर शिवसेना (शिंदे) के सांसद श्रीकांत शिंदे ने पूछा कि इंदिरा गांधी सावरकर पर क्या विचार रखती थी?
राहुल ने कहा कि मैंने उनसे एक बार यह पूछा था. उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा था कि आंदोलन में सभी लोग जेल गए, लेकिन सावरकर समझौतावादी निकले. राहुल ने आगे कहा कि सावरकर डर कर अंग्रेजों से माफी मांग लिए.
राहुल के इस बयान पर सदन में हंगामा मच गया. हालांकि, कांग्रेस के सांसद इस पर खुश नजर आए.
सावरकर पर न बोलने का था समझौता
2022 में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली. इसी दौरान राहुल वीर सावरकर पर भी खूब हमलावर दिखे, जिस पर उद्धव ठाकरे की पार्टी ने ऐतराज जताया. सार्वजनिक रूप से संजय राउत ने सावरकर को वीर बताया था. राउत का कहना था कि पूर्वजों के मुद्दे को उठाने से राहुल को बचना चाहिए.
उस वक्त दोनों के बीच गठबंधन टूटने की भी चर्चा थी, लेकिन आखिर दोनों के बीच एक समझौता हुआ. कहा जाता है कि इस समझौते की वजह से ही राहुल सावरकर पर कुछ नहीं बोल रहे थे.
राहुल पिछले 2 साल से सावरकर के मुद्दे पर चुप थे, लेकिन अब महाराष्ट्र में चुनाव के बाद अचानक से मुखर हो गए हैं.
उद्धव की पार्टी से बिगड़ेगा मामला?
विधानसभा चुनाव के बाद से ही उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. उद्धव की पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. पार्टी के विधानपरिषद में नेता अंबादास दानवे का कहना था कि कांग्रेस की वजह से ही महाविकास अघाड़ी की हार हुई है.
शिवसेना (उद्धव) का कहना है कि कई सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने हमारे उम्मीदवारों का समर्थन नहीं किया. मसलन, सोलापुर दक्षिण सीट से शिवेसना (उद्धव) के उम्मीदवार मैदान में थे. यह सीट कद्दावर कांग्रेसी सुशील कुमार शिंदे का गढ़ माना जाता है. यहां मतदान के दिन शिंदे ने निर्दलीय का समर्थन कर दिया था.
ऐसे में राहुल के इस बयान के बाद कहा जा रहा है कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के रिश्ते कहीं और ज्यादा न बिगड़ जाए.
विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) की नजर मुंबई नगरपालिका के चुनाव पर है. यह ठाकरे परिवार का गढ़ माना जाता है. यहां हिंदुत्व और मराठा बड़ा मुद्दा रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि शायद ही उद्धव की पार्टी इस मसले पर चुप रहे.
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