पीओके की सरकार ने अमित शाह के एक प्रस्ताव का किया समर्थन
पिछले दिनों भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके (PoK) को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होने कहा था कि भारत सरकार करताररपुर कॉरिडोर की तर्ज पर एक पहल की कोशिश करेगी।
पिछले दिनों पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कुछ ऐसा हुआ है जिसके बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नींद उड़ जाएगी। पीओके की विधानसभा में एक ऐसा प्रस्ताव लाया गया है जिसमें भारत के कश्मीर से वहां तक एक कॉरिडोर बनाने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव भारत के गृहमंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव से मिलता जुलता है, जिसमें उन्होंने पीओके तक करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर एक गलियारा बनाने की बात कही थी। शाह ने करीब एक हफ्ते पहले पीओके में स्थित शारदा पीठ तक एक रास्ता बनाने का भरोसा दिलाया था। उन्होंने कहा था कि भारत सरकार इस दिशा में काम करेगी ताकि श्रद्धालुओं को शारदा पीठ के दर्शन का मौका मिल सके।
पीओके की विधानसभा में आए एक प्रस्ताव से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। विधानसभा में 29 मार्च को सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के जावेद बट की तरफ से यह प्रस्ताव लाया गया है। इस प्रस्ताव में देश की सरकार और पीओके सरकार से सीमा पार रहने वाले कश्मीरियों को एक-दूसरे से मिलने का अवसर प्रदान करने की मांग की गई है। प्रस्ताव के मुताबिक जिस तरह से करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया है, उसी तरह से यहां पर भी एक कॉरिडोर बनाया जाए ताकि भारत में कश्मीर घाटी और यहां के लोग एक दूसरे से मिल सकें। प्रस्ताव में कहा गया है कि पांच अगस्त 2019 से व्यापार भी बंद है और पीओके से कोई भी कश्मीरी भारत के हिस्से वाले कश्मीर में नहीं जा सकता है।
इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिकों और रिटायर्ड अधिकारियों में खलबली सी है। भारत में तैनात रहे पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एक वीडियो में इस प्रस्ताव को लेकर कई बातें कही हैं। उनकीकी मानें तो प्रस्ताव से तो लगता है कि पीओके के लोगों को कश्मीर के बारे में कुछ मालूम ही नहीं हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों को एक वर्कशॉप आयोजित करके कश्मीर के मसले के बारे में बताना चाहिए। बासित ने कहा कि जम्मू कश्मीर की स्थिति, करतारपुर कॉरिडोर वाले पंजाब से पूरी तरह से अलग है। उनकी मानें तो भारत का पंजाब और पाकिस्तान का पंजाब प्रांत दोनों के बीच बंटवारा साफ नजर आता है। दोनों ही प्रांतों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा है। जबकि पाकिस्तान के कश्मीर और जम्मू कश्मीर की स्थिति इससे पूरी तरह से अलग है।
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