किताब
किताबें भी कहती है आजा़दी के बारे में,
महाश्वेता देवी द्वारा लिखित पुस्तक "झाँसी की रानी" पढ़कर दिमाग़ी पुर्जे़ दुरूस्त हो रहे हैं .
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दिल्ली के लाल किले पर बार-बार इश्तिहार चिपकाए जा रहे हैं - धर्म के लिए , देश के लिए तैयार हो जाओ , हिन्दुस्तान के लोगों ! फौजी बैरकों से होकर गाँव-गाँव घूम रही हैं हाथ से बनी रोटियाँ .कभी-कभी उनके साथ लाल कमल की पंखुड़ियाँ भी .
साधु, संन्यासी , फकीर और दरवेश गाँव - गाँव घूमकर संगठित कर रहे हैं ग्रामवासियों को . कह रहे हैं - सतरह सौ सत्तावन (पानीपत के अन्तिम युद्ध) के बाद अठारह सौ सत्तावन आ गया है .
अब तो अंग्रेज राज खत्म होने वाला है ......
- महाश्वेता देवी
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