जॉन एलिया(ग़ज़ल)
ऐश-ए-उम्मीद ही से ख़तरा है
, दिल को अब दिल-दही से ख़तरा है.
जौन' ही तो है 'जौन' के दरपय ,
'मीर' को 'मीर' ही से ख़तरा है.
अब नहीं कोई बात ख़तरे की ,
अब सभी को सभी से ख़तरा है...!!!
(जौन एलिया)
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
ऐश-ए-उम्मीद ही से ख़तरा है
, दिल को अब दिल-दही से ख़तरा है.
जौन' ही तो है 'जौन' के दरपय ,
'मीर' को 'मीर' ही से ख़तरा है.
अब नहीं कोई बात ख़तरे की ,
अब सभी को सभी से ख़तरा है...!!!
(जौन एलिया)