जॉन एलिया(ग़ज़ल)

मार्च 22, 2023 - 02:34
 0  28
जॉन एलिया(ग़ज़ल)

ऐश-ए-उम्मीद ही से ख़तरा है

, दिल को अब दिल-दही से ख़तरा है.

जौन' ही तो है 'जौन' के दरपय ,

 'मीर' को 'मीर' ही से ख़तरा है.

अब नहीं कोई बात ख़तरे की ,

अब सभी को सभी से ख़तरा है...!!!

(जौन एलिया)

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow