ग़ज़ल(रंग बातें करें)

अप्रैल 6, 2023 - 00:12
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ग़ज़ल(रंग बातें करें)

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए

भीग जाती हैं इस उम्मीद पे आँखें हर शाम

 शायद इस रात वो महताब लब-ए-जू आए

 हम तिरी याद से कतरा के गुज़र जाते मगर

राह में फूलों के लब सायों के गेसू आए

वही लब-तिश्नगी अपनी वही तर्ग़ीब-ए-सराब

दश्त-ए-मालूम की हम आख़िरी हद छू आए

मस्लहत-कोशी-ए-अहबाब से दम घुटता है

 किसी जानिब से कोई नारा-ए-याहू आए

सीने वीरान हुए अंजुमन आबाद रही

 कितने गुल-चेहरा गए कितने परी-रू आए

आज़माइश की घड़ी से गुज़र आए तो 'ज़िया'

जश्न-ए-ग़म जारी हुआ आँखों में आँसू आए

ज़िया..

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