कविता
मुझे पंछी बनाना
अबके या मछली या कली
और बनाना ही हो आदमी
तो किसी ऐसे ग्रह पर
जहां यहां से बेहतर
आदमी हो
कमी और चाहे जिस तरह की हो
पारस्परिकता की न हो !
~ भवानी प्रसाद मिश्र
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
मुझे पंछी बनाना
अबके या मछली या कली
और बनाना ही हो आदमी
तो किसी ऐसे ग्रह पर
जहां यहां से बेहतर
आदमी हो
कमी और चाहे जिस तरह की हो
पारस्परिकता की न हो !
~ भवानी प्रसाद मिश्र