कविता
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इस दुनिया में
आदमी की जान से
बड़ा कुछ भी नहीं है
न ईश्वर न ज्ञान न चुनाव
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याद रखो
एक बच्चे की हत्या
एक औरत की मौत
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सम्पूर्ण राष्ट्र का है पतन
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किसी हत्यारे को
कभी मत करो माफ
चाहे हो वह तुम्हारा यार
धर्म का ठेकेदार,
चाहे लोकतंत्र का स्वनामधन्य पहरेदार
-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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