कविता

मार्च 30, 2023 - 01:23
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कविता

प्रेम बारिश बनकर गिरा सब पर।

 पर मेरे भूखे पेट ने ढूंढी नौकरी

 और छाता बनकर मुझे

कभी इस बारिश में भीगने न दिया।।

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