कविता

मार्च 22, 2023 - 04:57
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कविता

माँ तेरी देहरी के बाहर से

कुएं की मुंडेर पर रख आई हूँ

साँझ का दिया बाती

 माएँ होती हैं

पहली साक्षी देह की !

मन की !

रश्मि मालवीया

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