साहित्य
तानाशाह का शिकार
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एक कवि का समाज के प्रति यदि कोई दायित्व है, तो वह है अच्छा लिखना। अल्पसंख्यक होने के नाते उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं। इसमें विफल होने पर वह विस्मृत कर दिया जाता है। इसके उलट, समाज का कवि के प्रति कोई दायित्व नहीं है। उसका बड़ा तबका कविता— भले वह कितनी अच्छी क्यों न लिखी गई हो— पढ़ने से भिन्न चीज़ों में ख़ुद को मुब्तिला रखना बेहतर समझता है। कविता से दूर जाता ऐसा समाज एक निरंकुश नेता या तानाशाह का आसान शिकार बन जाता है।
— जोसेफ़ ब्रॉडस्की, एक निबंध में।
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