म्यांमार से मणिपुर आए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा लेना शुरू, अवैध नागरिकों की पहचान होगी
गृह मंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अधिकारियों की टीम मणिपुर भेजी है जो वहां के अफसरों को डेटा कलेक्ट करने की ट्रेनिंग देगी।
मणिपुर सरकार ने शनिवार को राज्य में म्यांमार से आए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा लेना फिर शुरू कर दिया है। यह कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर हो रही है। इसका मकसद मणिपुर में अवैध रूप से रह रहे म्यांमार के नागरिकों की पहचान करना है। यह काम सितंबर 2023 से पूरा करने को कहा गया है।
बयोमीट्रिक पहचान का काम पहले भी चल रहा था, लेकिन राज्य में हिंसा के चलते बंद कर दिया गया था। गृह मंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अधिकारियों की टीम मणिपुर भेजी है जो वहां के अफसरों को डेटा कलेक्ट करने की ट्रेनिंग देगी।
इससे पहले हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के सांसदों ने दौरा और हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की। यह दौरा दो दिन का है।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार (29 जुलाई) को मणिपुर पहुंचा। इसके बाद सांसदों का एक दल चूराचांदपुर पहुंचा। यहां उन्होंने रिलीफ कैंप में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की।
ये सांसद 30 जुलाई तक यहां रहेंगे और जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे। राज्य में तीन महीनों से जारी हिंसा और यहां के लोगों की समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार और संसद को अपनी राय भी देंगे।
इस बीच, मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में CBI ने शनिवार (29 जुलाई) को FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी। केंद्र सरकार ने 27 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बात सुप्रीम कोर्ट को बताई थी। साथ ही हलफनामा दायर कर मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने की अपील भी की थी।
उधर, मणिपुर की राजधानी इंफाल में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने प्रदर्शन किया। उन्होंने शांति की अपील की और कहा कि कुकी समुदाय के लिए प्रशासन अलग से कोई नियम ना बनाए। इस बीच राज्यपाल अनुसूइया उइके रिलीफ कैंप में जाकर हिंसा पीड़ितों से मिलीं। यहां उन्होंने एक महिला को गले लगाकर ढांढस बंधाया।
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