नज़्म
दवा की शीशी में
सूरज
उदास कमरे में चाँद
उखड़ती साँसों में
रह रह के एक नाम की गूँज....!
तुम्हारे ख़त को
कई बार पढ़ चुका हूँ मैं..
निदा फ़ाज़ली
(सरहद-पार का एक ख़त पढ़ कर)
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
दवा की शीशी में
सूरज
उदास कमरे में चाँद
उखड़ती साँसों में
रह रह के एक नाम की गूँज....!
तुम्हारे ख़त को
कई बार पढ़ चुका हूँ मैं..
निदा फ़ाज़ली
(सरहद-पार का एक ख़त पढ़ कर)