अपनी बात
जब से मैंने दीमक का और अपने साथियों के लिए उसके त्याग का हाल पढ़ा तो मेरे दिल में इस जंतु के लिए आदर का भाव पैदा हो गया है | अगर आपसी सहयोग को और समाज की भलाई के लिए त्याग को सभ्यता की कसौटी मानें , तो हम कह सकते हैं कि इस लिहाज से दीमक और चीटियाँ मनुष्य जाति से ऊँची हैं |
संस्कृत में हमारी पुरानी पुस्तक में एक श्लोक है, जिसका अर्थ है- " कुल के लिए व्यक्ति को , समाज के लिए कुल को , देश के लिए समाज को और आत्मा के लिए सारी दुनिया को त्याग देना चाहिए |"
- पंडित जवाहर लाल नेहरू (विश्व इतिहास की झलक )
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