शेर
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हमीं हम हैं तो क्या हम हैं, तुम्हीं तुम हो क्या तुम हो?
सरशार सैलानी (पंडित रतन नाथ धर)
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हमीं हम हैं तो क्या हम हैं, तुम्हीं तुम हो क्या तुम हो?
सरशार सैलानी (पंडित रतन नाथ धर)