ग़ज़ल

मार्च 24, 2023 - 00:20
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ग़ज़ल

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सम्भलते क्यों हैं

 इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं !

मैं ना जुगनू हूँ दिया हूँ ना कोई तारा हूँ,

रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं !

नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,

 ख्वाब आ आ के मेरी छत पाय टहलते क्यों हैं !

 मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए

और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यों हैं

 राहत इन्दौरी

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