कविता
निशान पड़ गए मेरी लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर-
यहाँ आती नदियाँ
समुंदर बन निकलती हैं।।
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निशान पड़ गए मेरी लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर-
यहाँ आती नदियाँ
समुंदर बन निकलती हैं।।