पश्चिम बंगाल सरकार को देना होगा टाटा मोटर्स को 765.78 करोड़ रुपये

यह अमाउंट सितंबर 2016 से 11 प्रतिशत इंटरेस्ट को जोड़कर देना होगा। कंपनी का दावा है कि तीन सदस्यीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने पक्ष में यह फैसला लिया है।

अक्टूबर 30, 2023 - 23:22
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पश्चिम बंगाल सरकार को देना होगा टाटा मोटर्स को 765.78 करोड़ रुपये

टाटा ग्रुप ने कहा कि बंगाल सरकार को सिंगुर में नैनो फैक्ट्री को बंद करने के लिए टाटा मोटर्स को 765.78 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। यह अमाउंट सितंबर 2016 से 11 प्रतिशत इंटरेस्ट को जोड़कर देना होगा। कंपनी का दावा है कि तीन सदस्यीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने पक्ष में यह फैसला लिया है।

टाटा मोटर्स ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को एक नोट में कहा कि सिंगुर (पश्चिम बंगाल) में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी के संबंध में तीन सदस्यीय आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने लंबित मध्यस्थता कार्यवाही में 30 अक्टूबर 2023 को सर्वसम्मति से निर्णय देते हुए मामले का निपटारा किया है। टीएमएल के तहत टाटा मोटर्स को प्रतिवादी (डब्ल्यूबीआईडीसी) से 765.78 करोड़ रुपये की राशि 1 सितंबर 2016 से वास्तविक वसूली तक 11% प्रति वर्ष ब्याज के साथ वसूलने का हकदार माना गया है। नोट में कहा गया कि टाटा मोटर्स को प्रतिवादी (डब्ल्यूबीआईडीसी) से कार्यवाही की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि वसूलने का भी हकदार माना गया है।

टाटा को 2008 में पश्चिम बंगाल में सिंगूर फैक्ट्री को छोड़नी पड़ी थी क्योंकि टीएमसी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही थी। उस आंदोलन के समय ममता बनर्जी विपक्ष में थी और टीएमसी के आंदोलन का नेतृत्व कर रही थीं। सत्ता में आने के बाद, तृणमूल सरकार ने टाटा को एक कारखाने के लिए वैकल्पिक जमीन की पेशकश की थी। लेकिन कंपनी ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह 154 करोड़ रुपये का मुआवजा पसंद करेगी जो उसने भूमि अधिग्रहण के लिए वाम मोर्चा सरकार को भुगतान किया था।

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन न करने के मद्देनजर सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के वाम मोर्चा सरकार के फैसले को बेहद विकृत और अवैध करार दिया। टाटा मोटर्स ने अधिग्रहण का बचाव करते हुए तर्क दिया था कि सरकार मुकदमे के बीच में अपना रुख सिर्फ इसलिए नहीं बदल सकती क्योंकि एक अलग राजनीतिक दल सत्ता में आ गया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा कर सकती है अगर इस बात का सबूत है कि अधिग्रहण अवैध था। इसके बाद टाटा ने राज्य सरकार के साथ अपने पट्टा समझौते के तहत मध्यस्थता की मांग की जिसमें इसे डिस्प्यूट-रेसोलूशन मैकेनिज्म के रूप में शामिल किया गया।

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