बेटी को वापस पाने के लिए घर छोड़कर महीने भर से बाल कल्याण समिति के सामने बैठी है
पिटाई करने पर बाल कल्याण समिति ने शिशु गृह खंडवा भेजा, फुटपाथ पर गुजारती है रात।
मां और बच्चे के बीच अजीब-सा रिश्ता होता है। मां भले ही गुस्सा आने पर बच्चों की पिटाई कर दे, लेकिन उसकी ममता कम नहीं होती। कोई और यदि बच्चे को पीटे अथवा नुकसान पहुंचाए तो सबसे पहले लड़ने वाली मां ही होती है। धूप लगने पर आंचल की छांव और भूख लगने पर भोजन का प्रबंध भी मां ही करती है।
बुरहानपुर में एक मां की ऐसी कहानी सामने आई है, जो आपको भी द्रवित कर सकती है। जिले के नेपानगर क्षेत्र के टांडा गांव की सुरेखा पवार बीते करीब एक माह से घर छोड़ कर बाल कल्याण समिति के कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए है। इसका कारण समिति द्वारा उसकी ढाई साल की बच्ची आरोही को शिशु गृह खंडवा भेजा जाना है।
बाल कल्याण समिति के मुताबिक सुरेखा अपनी बच्ची की बेदम पिटाई करती थी। शिकायत मिलने पर चाइल्ड लाइन के माध्यम से बच्ची को समिति के पास पहुंचाया गया था। इसके बाद से ही सुरेखा पूरा दिन कार्यालय के बाहर पेड़ तले बिताती है और रात जयस्तंभ चौराहे के पास फुटपाथ पर गुजारती है। करीब एक माह से आस-पास के लोग उसे भोजन दे रहे हैं। दुखद पहलू यह है कि इसे लेकर अब तक जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोई पहल नहीं की।
हम महिला की मानसिक स्थिति की जांच करा रहे हैं। नारी निकेतन खंडवा भेजने के लिए बात चल रही है। मां और बच्ची की बेहतरी के लिए जो भी उपाय अपनाए जा सकते हैं, सभी उपाय अपनाए जाएंगे। - सुमन कुमार पिल्लई, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग।
सुरेखा ने बताया कि घर जाने पर उसकी सास द्वारकी बाई और पति अमर सिंह पवार उसे पागल कह कर पिटाई करते हैं। इसलिए वह अब घर नहीं जाना चाहती। सास व उनके रिश्तेदार पति का दूसरा विवाह कराना चाहते हैं। दूसरी ओर पति अमर सिंह ने समिति को बताया है कि मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण सुरेखा दिनभर बच्ची को धूप में लेकर घूमती है और भिक्षावृत्ति करती है। इसी के चलते उसकी दो माह की दूसरी बच्ची की मौत हो चुकी है।
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