नसीरुद्दीन शाह ने कहा- अगर मुगल सही नहीं तो 'ताजमहल को गिरा दो, लाल किले को तोड़ दो'

नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि यह विचार कि मुगल सभी चीजों के लिए दोषी थे, देश के इतिहास की समझ की कमी को दर्शाता है।

फ़रवरी 25, 2023 - 12:22
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नसीरुद्दीन शाह ने कहा- अगर मुगल सही नहीं तो 'ताजमहल को गिरा दो, लाल किले को तोड़ दो'

नसीरुद्दीन शाह ने मुगल शासन का विरोध करने वालों पर ऐसी टिप्पणी की है कि सोशल मीडिया पर वह अचानक की ट्रेंड करने लगे हैं। इस समय हर जगह सिर्फ अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की चर्चा हो रही है। नसीरुद्दीन शाह के अनुसार आज के समय में लोग हेल्दी विवाद करना नहीं जानते सिर्फ बेतुकी बेहस पर अपना समय बर्बाद करते हैं। नसीरुद्दीन शाह के अनुसार जो लोग उनके विचारों का विरोध करने के आदी हैं, वह उनकी बात को कभी नहीं समझ पाएंगे। उनका कहना है कि तर्क या इतिहास के अभाव में जो भी पनपता है, वह नफरत और गलत सूचना है। शायद यही कारण है कि भारत का एक वर्ग अब अतीत पर, विशेष रूप से, मुगल साम्राज्य पर हर तरह का दोष लगाता है, जो मुझे नाराज करने की जगह मजाकिया लगता है।

नसीरुद्दीन शाह ने कहा- हालिया वर्षों में, सत्तारूढ़ सरकार के मंत्रियों द्वारा मुगल युग को लगातार बदनाम किया जा रहा है। 40 गांवों को 'मुगल-युग' के नाम से बदलने की मांग से लेकर राष्ट्रपति भवन में ऐतिहासिक मुगल गार्डन का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' करने तक, इतिहास को बदलने की पुरजोर कोशिश की गई है। आपको बता दें कि नसीरुद्दीन शाह जल्द ही जी5 की वेब सीरीज 'ताज-डिवाइडेड बाय ब्लड' में नजर आने वाले हैं। इस वेब सीरीज में वह राजा अकबर के रूप में नजर आएंगे। इस वेब सीरीज को मुगल साम्राज्य के अंदर महल में होने वाले आंतरिक कामकाज और उत्तराधिकार नाटक के रहस्यों के रूप में पेश किया जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करने के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा- मुगल शासन पर हर बात का दोष मढ़ना मुझे यह मुझे चकित करता है, क्योंकि यह बहुत ही हास्यास्पद है। मेरा मतलब है, लोग अकबर और नादिर शाह या बाबर के परदादा तैमूर जैसे जानलेवा आक्रमणकारी के बीच अंतर नहीं बता सकते। उन्होंने आगे कहा- ये वे लोग थे जो यहां लूटने आए थे, मुगल यहां लूटने नहीं आए थे। वे इसे अपना घर बनाने के लिए यहां आए थे और उन्होंने यही किया। उनके योगदान को कौन नकार सकता है।

नसीरुद्दीन शाह ने इंटरव्यू में आगे कहा- वो लोग जो ये कह रहे हैं, वह भी कुछ हद तक सही हैं कि मुगलों को हमारी अपनी स्वदेशी परंपराओं की कीमत पर महिमामंडित किया गया है। शायद यह सच है, लेकिन उन्हें खलनायक बनाने की भी जरूरत नहीं है। अगर मुगल साम्राज्य इतना ही विनाशकारी था, तो उसका विरोध करने वाले उनके बनाए स्मारकों को क्यों नहीं गिरा देते। उन्होंने कहा- अगर उन्होंने जो कुछ भी किया वह भयानक था, तो ताजमहल को गिरा दो, लाल किले को गिरा दो, कुतुब मीनार को गिरा दो। लाल किले को हम पवित्र क्यों मानते हैं, इसे एक मुगल शासक ने ही बनवाया था। हमें उनका महिमामंडन करने की जरूरत नहीं है और न ही उन्हें बदनाम करने की जरूरत है।

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