व्यंग
दुनिया बस अपने स्वार्थ की मीत है, बस उतना ही याद रखती है जितना कि उसका स्वार्थ चाहता है।
l हजारी प्रसाद द्विवेदी
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दुनिया बस अपने स्वार्थ की मीत है, बस उतना ही याद रखती है जितना कि उसका स्वार्थ चाहता है।
l हजारी प्रसाद द्विवेदी