ग़ज़ल
इस दुनिया में अपना क्या है
कहने को सब कुछ अपना है
मुँह देखे की बातें है सब
किसने किसको याद किया है?
तेरे साथ गयी वो रौनक
अब इस शहर में रखा क्या है
बात ना कर सूरत तो दिखा दे
तेरा इस में जाता क्या है
भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में रखा क्या है
इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुःख का नाम दवां रखा है
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?