त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 55 किलोमीटर दूर गोमती जिले में एक पुरानी मस्जिद को जला दिया गया
सरकार आज भी नहीं मानती, कहीं कोई मस्जिद जली थी 13 नवंबर को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के जरिए सूचना जारी कर दरगाह बाजार की मस्जिद जलाए जाने की खबर को झूठ बताया था। इस सूचना में ये भी कहा गया था कि त्रिपुरा में कहीं भी कोई मस्जिद नहीं जलाई गई है।
जली हुई मस्जिदों के निशान अभी भी बाकी
दरगाह बाजार की इस मस्जिद के अलावा बांग्लादेश के बॉर्डर से लगे सिपाहीजाला जिले की खास चौमुहानी की नूर-अल-जामा मस्जिद को भी जलाए जाने के आरोप लगे थे। यहां पहुंचने पर जली हुई मस्जिद आज भी वैसी ही हालत में मौजूद है।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 55 किलोमीटर दूर गोमती जिले के काकराबन गांव के दरगाह बाजार में अब एक नई मस्जिद खड़ी है। इससे बस 5 फीट दूरी पर ही 19 अक्टूबर 2021 को एक पुरानी मस्जिद को जला दिया गया था। पुरानी मस्जिद के नाम पर अब वहां एक लोहे का एंगल बचा है, शायद स्थानीय लोगों ने इसे बतौर निशानी छोड़ दिया है।
मस्जिद से सिर्फ 200 मीटर दूर BJP का रीजनल इलेक्शन ऑफिस है। त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए 16 फरवरी को वोटिंग है। अभी राज्य में BJP की ही सरकार है। मैं पुरानी मस्जिद के बारे में पूछती हूं, तो BJP ऑफिस के लोग मुझसे ही सवाल-जवाब करने लगते हैं। यहां अब जली हुई मस्जिद को याद करने वाला कोई नहीं। मामले में सभी आरोपी बेल पर बाहर आ चुके हैं।
BJP दफ्तर से निकलकर पुरानी मस्जिद की देखरेख करने वाले मुस्तफा के घर पहुंची, तो उनकी पत्नी ने बताया, 'नई मस्जिद बनानी पड़ी, क्योंकि पुरानी जल गई थी।' पूछा-किसने जलाई? तो जवाब मिला, 'ये मेरे शौहर ही बताएंगे।'
‘मैं कुछ नहीं बोलूंगा, हमारे जिम्मेदार लोगों ने चुप रहने के लिए कहा है’
पत्नी के फोन के करीब 10 मिनट के अंदर मुस्तफा घर आ जाते हैं। उनसे 19 अक्टूबर 2021 को हुए हादसे के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस पर कुछ नहीं बोल सकता, हमारे जिम्मेदार लोगों ने चुप रहने के लिए कहा है। हम बोलेंगे तो मुश्किल में फंस जाएंगे। आप देख ही रही हैं (वे पूरी गली में लगे BJP के झंडों की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं) चारों तरफ झंडे ही झंडे हैं।'
मुस्तफा मुझे लौट जाने की हिदायत देते हुए कहते हैं- ‘दिल्ली से कुछ लोग आए थे, इस पर रिपोर्ट बनाने, वह मुश्किल में फंस गए थे।’ वे दरवाजा बंद करते हुए कहते हैं- ‘हमें तो यहीं रहना है।’
मुस्तफा शायद उन दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें 14 नवंबर 2021 को त्रिपुरा पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। ये दोनों इन्हीं मस्जिदों पर स्टोरी करने आई थीं। पुलिस ने उन पर दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने का आरोप लगाकर हिरासत में ले लिया था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता कंचन दास ने इन पत्रकारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
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