कथाकार
"मेरा मतलब था, क्या आप उस क्षण को याद कर सकते है, जब आप एकाएक यह फैसला कर लेते हैं कि आप अलग न रहकर किसी दूसरे के साथ रहेंगे-ज़िन्दगी भर। मेरा मतलब है क्या आप सही सही उस बिंदु पर अँगुली रख सकते हैं जब आप अपने भीतर के अकेलेपन को थोडा सा सरकाकर किसी दूसरे को वहाँ आने देते हैं"
~ निर्मल वर्मा, धूप का एक टुकडा
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