गीत
तुम दीवाली बन कर जग का तम दूर करो,
मैं होली बन कर बिछड़े हृदय मिलाऊंगा!
~ गोपालदास "नीरज"
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तुम दीवाली बन कर जग का तम दूर करो,
मैं होली बन कर बिछड़े हृदय मिलाऊंगा!
~ गोपालदास "नीरज"