कविता
‛चतुर मुझे कुछ भी। कभी नही भाया। न औरत। न आदमी। न कविता।
सामान्यता ही सदा। असामान्य मानकर।
छाती से लगाया।’
~ भवानीप्रसाद मिश्र
जन्मदिवस पर सादर नमन: २९/३/१९१३
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
‛चतुर मुझे कुछ भी। कभी नही भाया। न औरत। न आदमी। न कविता।
सामान्यता ही सदा। असामान्य मानकर।
छाती से लगाया।’
~ भवानीप्रसाद मिश्र
जन्मदिवस पर सादर नमन: २९/३/१९१३