कविता

मार्च 30, 2023 - 01:11
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कविता

दिल एक ख्वाब सही।

 दिल्ली जिसे होना था

एक पूरा नया शहर

वो हिस्से में मेरे आया

उतरन बनकर किसी की-

इसमें जो रह चुका था पहले

उसकी गंध रही-

चाहे कितनी बार भी धोया

 इस शहर को मैंने बारिशों में।

अब कहाँ जाएं इस उमर में

हम अभी- सच मिला नहीं-

तो दिल एक ख्वाब सही।।

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