कविता
चाँद को भी गड्ढे
ऐसे ही पड़े-
रात देर जागा करता था।
सुनता नहीं था- जिद्दी
- जब भी सोने मैं उसको कहता था।।
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
चाँद को भी गड्ढे
ऐसे ही पड़े-
रात देर जागा करता था।
सुनता नहीं था- जिद्दी
- जब भी सोने मैं उसको कहता था।।