कविता
                                बन्दर से आदमी, आदमी से फिर खूंखार जानवर,
क्या यही थी तुम्हारी, विकास की थ्योरी,"डार्विन"...???
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                                बन्दर से आदमी, आदमी से फिर खूंखार जानवर,
क्या यही थी तुम्हारी, विकास की थ्योरी,"डार्विन"...???