कविता
घर जगह
नहीं होते
घर लोग होते हैं
उनके धड़कते सीने
नर्म आँखें
गर्म हथेलियाँ
घर पेड़ होते हैं
घोंसले,
बच्चे
यादें
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
घर जगह
नहीं होते
घर लोग होते हैं
उनके धड़कते सीने
नर्म आँखें
गर्म हथेलियाँ
घर पेड़ होते हैं
घोंसले,
बच्चे
यादें