गज़ल

अप्रैल 1, 2023 - 01:07
 0  29
गज़ल

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली

जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली

रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी

आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली

जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी

 जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली

 मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर

 दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली

होंठों तक आते आते, जाने कितने रूप भरे

जलती-बुझती आँखों में, सादा-सी जो बात मिली

 मीनाकुमारी...

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow