कविता

अप्रैल 1, 2023 - 18:47
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कविता

एकान्त में लोग विक्षिप्त हो रहे हैं।

 लोग दूसरों के सामने खाँसने

 और छींकने से डर रहे हैं।

 लोग मनुष्य से जानवर बन रहे हैं।

जिस बीमारी को इनसानों को ख़त्म करना चाहिए था,

वह इनसानियत ख़त्म कर रही है।

-आस्तिक वाजपेयी/ 'उम्मीद' कविता संग्रह से

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