कविता
देर तक इंतज़ार के बाद,
जब दुनिया गर्म और नाज़ुक नहीं हुई
तो
उन आंखों में गहरे तक देखा
और आंखें बंद कर वो हाथ
अपनी हथेली में फिर बांध लिया!
- - याद केदार
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
देर तक इंतज़ार के बाद,
जब दुनिया गर्म और नाज़ुक नहीं हुई
तो
उन आंखों में गहरे तक देखा
और आंखें बंद कर वो हाथ
अपनी हथेली में फिर बांध लिया!
- - याद केदार