हिन्दी कविता
                                क्या जीवन इसी तरह बीतेगा
शब्दों से शब्दों तक
जीने और जीने और जीने और जीने के
लगातार द्वन्द में?
केदारनाथ सिंह जी
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                                क्या जीवन इसी तरह बीतेगा
शब्दों से शब्दों तक
जीने और जीने और जीने और जीने के
लगातार द्वन्द में?
केदारनाथ सिंह जी