नई किताब (गाँधी सियासत और साम्प्रदायिकता
नई किताब: गांधी सियासत और सांप्रदायिकता
यह किताब गांधीजी के जिये, किये और कहे के आधार पर धर्म के बारे में उनके विचार और सांप्रदायिकता से उनके संघर्ष की तथ्यात्मक कथा सुनाती है।
सांप्रदायिकता से उनका संघर्ष इसलिए और ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि विदेशी साम्राज्यवाद को तो उन्होंने जीते जी पराजित कर दिया, लेकिन भारत के भीतर बैठी सांप्रदायिकता अंततः उनके प्राण लेकर ही मानी।
किताब इस विडंबना को उजागर करती है कि जो सांप्रदायिक शक्तियां हिंदू-मुस्लिम फसाद और भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार हैं, वह कैसे अपने पाप गांधीजी के सिर मढ़ने की कोशिश कर रही हैं। यह शक्तियां आज भी देश में प्रभावशाली हैं और उनसे मुकाबला किए जाने की जरूरत है। धन्यवाद।
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