ED-CBI के अधिकार को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
पिछले कई सालों से विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। इसको लेकर विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उनको झटका लगा और याचिका खारिज हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के "मनमाने उपयोग" का आरोप लगाया गया था।
इसके अलावा विपक्षी दलों ने एक नए सेट की मांग की थी। जिसके तहत गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत को नियंत्रित किया जा सके। कोर्ट ने इस याचिका के लिए विपक्षी दलों को फटकार भी लगाई। साथ ही कहा कि वो नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकते हैं।
विपक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने कोर्ट के सामने ईडी-सीबीआई से जुड़े आंकड़े रखे। सिंघवी के मुताबिक 885 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई थी, सजा सिर्फ 23 में हुई। इसके अलावा 2004 से 2014 तक लगभग आधी अधूरी जांच ही है। साल 2014-22 तक ईडी ने 121 नेताओं के खिलाफ जांच की, जिसमें 95 प्रतिशत विपक्ष के थे।
उनकी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आपके आंकड़े अपनी जगह सही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि नेता आम नागरिक से अलग हैं और उनको जांच में छूट दी जाए। नेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार नहीं है, ऐसे में वो इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि आप चाहते हैं कि अगर चाइल्ड एब्यूज या रेप जैसा मामला ना हो तो गिरफ्तारी ना की जाए, हम ऐसा कैसे कह सकते हैं? ये तय करना तो विधायिका का काम है। देश की सर्वोच्च अदालत नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकती है।
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