लेख - धर्म का उपयोग जोड़ने के लिए कभी नही हुआ

अप्रैल 5, 2023 - 19:39
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लेख - धर्म का उपयोग जोड़ने के लिए कभी नही हुआ

धर्म का उपयोग जोड़ने के लिए कभी नहीं हुआ

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 पशुओं में भी इस किस्म की मौका परस्ती नहीं है जैसी मनुष्यों में है। वे दर्द को दर्द समझते हैं। मैं देख रही हूँ लोग नोचने खसोटने के लिए जैसे बैठे हैं। मेरा दिमाग़ झनझना जा रहा है अपने बहुत ही निकट के और दुनिया में ऐसे लोगों को देख कर जो ऊपर से नीचे ज़हर से भरे हैं और उंगली उठाने में सबसे आगे। ये वही लोग हैं जो इस बात को समझते हुए भी नासमझ बने रहते हैं कि प्रकृति के सामने न वे हिन्दू हैं न मुसलमान। इंसान हैं बल्कि इस यूनिवर्स का एक छोटा सा तिनका जिसकी दरअसल कोई औक़ात है नहीं। ज़रा सोचिए अभी इसी कोरोना के समय में एक आध भूकम्प के झटके मिल जाएं फिर लोगों की नोच खसोट कहाँ जाएगी। बड़ा विचित्र है सब कुछ। यह सोच कितनी घृणित है कि आप उन्हें गाली दे रहे हैं जो रोज़मर्रा में आप के जीवन को चला रहे हैं। क्या इसमें भेदभाव कर पाना सम्भव है कि आप के घर में जो दूध आता है उसकी पैकिंग किसी हिन्दू ने की है या मुसलमान ने ? जो सब्ज़ी आप खा रहे हैं उसे हिन्दू ने उगाया है या मुसलमान ने ? जो कपड़े आप पहनते हैं उसे किसने सिला है ? जो दवाईयां आप खाते हैं उन्हें हिन्दू के हाथों ने बनाया है या मुसलमान ने ? नहीं फ़र्क कर पाएंगे न ? क्या मालूम कुछ योद्धा कर भी लें। उन योद्धाओं से मैं दूर रहना चाहती हूं। ऐसे योद्धा मेरी मित्र सूची में खुद को पाते हैं तो ख़ुद ब ख़ुद मुझे अपनी सूची से बाहर कर दें। अन्यथा मुझे यूँ भी अपने आस पास लिमिटेड लोग ही पसन्द हैं। मैं आप सब से प्रार्थना कर रही हूँ इस समय इस महामारी को कम्युनल एंगल दे कर अपने जाहिलपने का परिचय न दें। आप के बच्चे आप से सीखते हैं। महाभारत और रामायण से नहीं। रही बात रामराज्य की तो उसे हिन्दू राज्य बनाने में किसी किस्म की कोई कमी नहीं छोड़ी है इस सेक्युलर नेशन के कुछ योद्धाओं ने। याद रखें। धर्म का उपयोग जोड़ने के लिए कभी नहीं हुआ। कम से कम इस मुल्क में तो नहीं।

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