कविता
मौसम उदास है इन दिनों
इन दिनों रात गिरते हैं
पीले पत्ते मुंह सबेरे
कोई ढेरी बना आग लगा जाता है
इन दिनों धुवां है शाम स्त्रियां
अपनी उदासियां लिख रही
पहले के दिन
इन दिनों से मुखर नहीं थे...
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
मौसम उदास है इन दिनों
इन दिनों रात गिरते हैं
पीले पत्ते मुंह सबेरे
कोई ढेरी बना आग लगा जाता है
इन दिनों धुवां है शाम स्त्रियां
अपनी उदासियां लिख रही
पहले के दिन
इन दिनों से मुखर नहीं थे...