कविता
'मैं हमेशा रहूँगी'
तुम्हारी इस बात पर
इतना ही यकीन था
जितना करता होगा
कोई प्रेमी,
अपनी प्रेमीका के वादे पर!
अगर यह वादा होता तो
क्या तुम रुक जाती?
तुम्हे जाना था,
तुम गई..।
प्रेमी होना
मुझे कभी आया ही नही,
सीख ही ना सका,
बांध सकना
किसी बंधन में
अपनी प्रिय को।
स्वतंत्रता प्रेम से बड़ी चीज़ होती है ना!
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?