कविता
यह सोंधी सुगन्ध,
उस अधखिले चन्द्रमा की है;
जो फूल रहा
चैत की बुन्देली मिट्टी में
सूरज की ओस में
भीग रहा है..
बाबुषा कोहली
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
यह सोंधी सुगन्ध,
उस अधखिले चन्द्रमा की है;
जो फूल रहा
चैत की बुन्देली मिट्टी में
सूरज की ओस में
भीग रहा है..
बाबुषा कोहली