कविता

अप्रैल 2, 2023 - 02:31
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कविता

यह सोंधी सुगन्ध,

 उस अधखिले चन्द्रमा की है;

जो फूल रहा

 चैत की बुन्देली मिट्टी में

सूरज की ओस में

भीग रहा है..

बाबुषा कोहली

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