समसामयिक
                                जैसे दोज़ख़ की हवा खा के अभी आया हो
किस क़दर वाइज़-ए-मक्कार डराता है मुझे -
यगाना चंगेज़ी
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                                जैसे दोज़ख़ की हवा खा के अभी आया हो
किस क़दर वाइज़-ए-मक्कार डराता है मुझे -
यगाना चंगेज़ी