जीसस
जीसस ने बताया था- लोग महाप्रलय से पहले तक खा रहे थे, पी रहे थे, शादी-ब्याह कर रहे थे. वे नहीं जानते थे कि बाढ़ आएगी और सब कुछ बहा ले जाएगी. उन्होंने यह भी कहा था कि लड़ाइयों की चर्चा व अफ़वाहें होंगी, ये लड़ाइयां होंगी भी, पर वह अंत न होगा. जाति जाति के ख़िलाफ़, राज्य राज्य के ख़िलाफ़ उठ खड़े होंगे, कई जगहों पर अकाल होगा, भूकंप आयेंगे. किंतु ये सब घटनायें तो दुःख की शुरुआत भर होंगी.
सलीब ढोते हुए ईसा ने रो रही महिलाओं से कहा- ओ जेरूसलम की बेटियों, मेरी ख़ातिर मत रोओ, बल्कि अपने लिए और अपने बच्चों के लिए रोओ. क्योंकि एक ऐसा भी वक़्त आयेगा, जब तुम कहोगे, ‘ख़ुशकिस्मत हैं बाँझ औरतें, ख़ुशकिस्मत हैं वो कोखें जिनने जना नहीं और ख़ुशकिस्मत हैं वो छातियाँ जिनने दूध नहीं पिलाया.’
उन दो चोरों को भी याद किया जाना चाहिए, जिन्हें जीसस के साथ सलीब पर लटकाया गया था. गैब्रिएल रोज़ेनस्टॉक ने उनके बारे में लिखा है-
माँएँ थी उनकी भी
दाईं ओर टंगे चोर की
और, उसकी जो टंगा था
बाईं तरफ.
मुझे बराबस/बरअब्बास का भी ख़्याल आता है, जिसे पासओवर के दिन रिहा कर दिया गया था. बाइबल के आख्यान के मुताबिक, तब रिवायत यह थी कि उस दिन लोगों के कहने पर रोमन गवर्नर किसी ऐसे सज़ायाफ़्ता की मौत की सज़ा माफ़ कर देता था, जिसे सलीब पर लटकाया जाना होता था.
‘बराबस’ फ़िल्म में यह किरदार एक संवाद बोलता है- ‘ईश्वर अपने को स्पष्ट क्यों नहीं करता? भली आशाओं, घोषणाओं, देवदूतों, तमाम वादों का क्या हुआ? जब भी मैं देखता हूँ, तो सब कुछ एक ही तरह से ख़त्म होता है, यातनाओं और लाशों के साथ… कुछ भी अच्छा नहीं होता. ओह, इन सब का हासिल कुछ भी नहीं है.'
(चित्र: जेम्स तिसॉ)
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