प्रेम कविता

अप्रैल 1, 2023 - 10:04
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प्रेम कविता

मुझे याद है

 कि कैसे

 मेरे हाथों में उग आए

 सख़्त पहाड़ को-

तुम्हारी हथेलियों की

 लहरों ने

 नर्म मैदान बनाया था ।।

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