देश -विदेश
भारत की पश्चिम-परस्त लॉबी देश को बेल्ट-रोड परियोजना में औपचारिक रूप से शामिल होने से रोकती रही है. यह और बात है कि यही लॉबी चीन से होने वाले व्यापार की बड़ी लाभार्थी भी है. इस लॉबी को यह भी पता है कि भारत परोक्ष रूप से बेल्ट-रोड परियोजना का लाभ भी ले रहा है. हम ब्रिक्स और शंघाई संगठन में साथ हो सकते हैं, हम साथ में ब्रिक्स बैंक चला सकते हैं, हम मध्य एशिया में सहयोग कर सकते हैं, नये व्यापारिक मार्गों का लाभ उठा सकते हैं, तो औपचारिक रूप से बेल्ट-रोड परियोजना में क्यों नहीं शामिल हो सकते! भूटान और चीन ने अपना सीमा-विवाद हल कर लिया है. हम भी कर सकते हैं. चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, उससे निवेश और ऋण लेना चाहिए. चीन दुनिया का सबसे बड़ा एकल ऋणदाता है. भारत में और कई देशों में ऋण को लेकर चीन के बारे में बकवास बातें कहकर अख़बार, टीवी, साइट आदि का धंधा चलाया जाता है. बहरहाल, बेल्ट-रोड परियोजना का जलवा देखा जाए-
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