कविता
इक आजाद लड़की के मन में
सारे जानवर होते हैं,
खरगोश से लेकर भेड़िये तक
वो मरती है एक दिन
अपने भीतर किसी बेहद पालतू से
जानवर के नाखूनों में फंसकर ।।
प्रतिमा सिंह, बोरसी काव्य संग्रह
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
इक आजाद लड़की के मन में
सारे जानवर होते हैं,
खरगोश से लेकर भेड़िये तक
वो मरती है एक दिन
अपने भीतर किसी बेहद पालतू से
जानवर के नाखूनों में फंसकर ।।
प्रतिमा सिंह, बोरसी काव्य संग्रह