रविन्द्र नाथ टैगोर एक जीवनी
स्वयं को जानना सरल नहीं है।
कठिन है जीवन के अनगिनत अनुभवों को एक सम्पूर्णता में एकीकृत करना।
यदि ईश्वर ने मुझे लम्बी आयु न दी होती, यदि उसने मुझे ७० वर्ष की आयु तक पहुँचने की अनुमति न दी होती तो बहुत दुर्लभता से मुझे मेरी आत्म छवि दिखती।
मैंने अपने जीवन के होने का अर्थ अलग अलग समयों में विभिन्न कार्यकलापों और अनुभवों से स्थापित किया है।
अपने बारे में एक मात्र निष्कर्ष जो मैं निकाल पाया हूँ वह यह है - मैं एक कवि हूँ, और कुछ भी नहीं।
कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मैंने अपने जीवन के साथ और क्या किया।
■ आत्मछबि- रविंद्रनाथ टैगोर / मेरे शब्दों में मेरा जीवन
My life in my words, Rabindranath Tagore
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