ध्यान और विज्ञान
ध्यान और विज्ञान
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महाराजा प्रभु नारायण सिंह 1889 से 1931 तक काशी नरेश रहे। वाह ज्ञान, विज्ञान और ध्यान के अध्येता और साधक थे। सदाशिव कि नगरी काशी ने सदैव काशी नरेशों का हार्दिक सम्मान किया है, और वे सम्मान के योग्य रहे भी हैं।
महाराजा प्रभुनारायण सिंह जी ने 1300 एकड़ जमीन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिये दान की थी।
सर्जरी के क्षेत्र में एनेस्थिसिया कि खोज के बाद, बिना एनेस्थिसिया दिये आपरेशन की बात इलापैथिक सर्जन सोच भी नहीं सकते, वह भी ब्रिटेन के सर्जन महाराजा काशी नरेश की शल्य क्रिया में। परन्तु यह संभव कर दिखाया महाराजा प्रभु नारायण सिंह जी ने।
उनका एपेंडिक्स का ऑपरेशन होना था, ब्रिटेन से सर्जन आए थे। महाराजा ने कहा वह ध्यानस्थ होकर बिना एनेस्थिसिया के ऑपरेशन कराएँगे और कराया भी। उन्होंने ऑपरेशन के बाद सर्जन को बयाया कि ध्यान के द्वारा वह शरीर से ऊपर उठ कर दृष्टा बन गये थे और बिना किसी दर्द के शरीर की सर्जरी के साक्षी बने।
नमन है भारत के ध्यान और विज्ञान के समन्यवय को...
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