शेर (तुम नही जानते मेरी )

तुम नहीं जानते एक-तरफ़ा मुहब्बत की महरूमियाँ
तुमने देखा नहीं अपनी नज़रों से ख़ुद को छुपाना मेरा
: शारिक़ कैफ़ी
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तुम नहीं जानते एक-तरफ़ा मुहब्बत की महरूमियाँ
तुमने देखा नहीं अपनी नज़रों से ख़ुद को छुपाना मेरा
: शारिक़ कैफ़ी